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कहिये तो कुछ कि काट लें दो दिन खुशी से हम / गुलाब खंडेलवाल
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20:19, 22 जुलाई 2011
घबरा गये हैं आपकी इस बेरुख़ी से हम
हर
शख्श
शख़्स
आइना है हमारे ख़याल का
मिलते गले-गले हैं हरेक आदमी से हम
आयेगा कुछ नज़र तो कहेंगे
पुकार कर
पुकारकर
आँखें मिला रहे हैं अभी ज़िन्दगी से हम
Vibhajhalani
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