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किसी बेरहम के सताये हुए हैं / गुलाब खंडेलवाल
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19:19, 30 जून 2011
गुलाब उनके चरणों में पहुँचे तो कैसे!
सभी
और
ओर
काँटें बिछाए हुए हैं
<poem>
Vibhajhalani
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