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यों न मिलने में शरमाइये / गुलाब खंडेलवाल
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20:41, 30 जून 2011
यों न मिलने में शरमाइये
दो घड़ी रुक भी तो
जाइए
जाइये
प्यार मुँह से न कहते बने
शर्त है प्यार की एक ही
खुद
ख़ुद
तड़पिये तो
तड़पाइए
तड़पाइये
सामने उनके चुप हैं गुलाब
कुछ भी कहिये तो शरमाइये
<poem>
Vibhajhalani
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