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कुछ भी नहीं जो हमसे छिपाते हो, ये क्या है / गुलाब खंडेलवाल
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20:04, 1 जुलाई 2011
मिलकर भी निगाहें न मिलाते हो, ये क्या है!
थे और बहाने नहीं आने के
सैंकडों
सैकड़ों
कहते हो, 'हमें क्यों न बुलाते हो,'--ये क्या है!
Vibhajhalani
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