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अब उन हसीन अदाओं का रंग छूट गया / गुलाब खंडेलवाल
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02:26, 2 जुलाई 2011
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|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
गुलाब! तुमने भी तो फेंकी थी हवा में कमंद
पहुँच न पाए थे उन तक कि हाथ छूट गया
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Vibhajhalani
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