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आपने प्यार का खेल किया हो, हम तो बहुत बेजार हुए
तीर तो थे तरकश में हजारोंहज़ारों, चल भी गए कुछ चल न सके
टूट के उन क़दमों पे गिरे कुछ, कुछ हैं दिलों के पार हुए
हम न रहे तो कौन भला ये शोख शोख़ अदायें देखेगा!
बाग़ की सब रंगत है हमीं से फूल भले ही हज़ार हुए
अपनी पँखुरियों को छितराकर, आज गुलाब ये कहता था,
'खूब जिन्हें खिलना हो खिले अब, हम तो हवा पे सवार हुए'
 
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