Changes

फिर कहाँ होंगी ये रातें, ये शोख़ियाँ दिल की!
क्या कहेंगे हम उन्हें फिर, जो मुलाक़ात भी हो!
कौन रखता यहाँ प्यार के वादों का हिसाब!
आप नाहक हैं परेशानपरीशान, कोई बात भी हो!
यों तो ख़ुशबू का खजाना ख़जाना है पँखुरियों में, गुलाब!क्या पता इसमें इनमें तेरे प्यार की सौग़ात भी हो
<poem>
2,913
edits