गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
कुछ हम भी लिख गये हैं तुम्हारी किताब में / गुलाब खंडेलवाल
8 bytes added
,
04:08, 2 जुलाई 2011
लेते न मुँह जो फेर हमारी तरफ से आप
कुछ
खूबियाँ
ख़ूबियाँ
भी देखते
खानाखराब
ख़ानाख़राब
में
कुछ बात है कि आपको आया है आज प्यार
देखा नहीं था ज्वार यों मोती के आब में
हमने ग़ज़ल का और भी गौरव बढ़ा दिया
रंगत नयी तरह की जो भर दी गुलाब में
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits