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मृगमरीचिका / विजय कुमार पंत
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10:27, 3 जुलाई 2011
जीवन जीने की कला
अनुभवी होती है
बूढी
बूढ़ी
नजरें, ऐसा सुना करता था अक्सर
आज भी....
रोकते रहते है कदम
Abha.Khetarpal
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