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दर्द दिल थाम के सहते हैं, हम तो चुप ही हैं / गुलाब खंडेलवाल
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22:37, 3 जुलाई 2011
<poem>
दर्द दिल
थाम के
थामके
सहते हैं, हम तो चुप ही हैं
लोग क्या-क्या नहीं कहते हैं, हम तो चुप ही हैं
सुर्ख बादल जो उमड़ आये थे आँखों में कभी
बन के
बनके
आँसू वही बहते हैं, हम तो चुप ही हैं
हम ख़तावार नहीं दिल के बहक जाने के
Vibhajhalani
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