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नज़र भले ही हमें देख के शरमा ही गयी / गुलाब खंडेलवाल
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22:51, 3 जुलाई 2011
<poem>
नज़र भले ही हमें
देख के
देखके
शरमा ही गयी
झलक तो प्यार की पलकों से छनके आ ही गयी
करें भी क्या जो ये तस्वीर दिल को भा ही गयी!
चले जो हम तो चली साथ-साथ
क़िस्मत
किस्मत
भी
हरेक मुकाम पे पहले ये बेवफ़ा ही गयी
Vibhajhalani
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