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यह न सोचा, किसी पे क्या गुज़री
दिल लगाया शौकिया शौक़िया तुमने
दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने
ज़िन्दगी की क़िताब किताब ख़त्म हुई
मुड़ के देखा न हाशिया तुमने!
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