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दिल के लुट जाने का ग़म कुछ भी नहीं / गुलाब खंडेलवाल
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18:58, 4 जुलाई 2011
<poem>
दिल के लुट जाने का
गम
ग़म
कुछ भी नहीं!
आप ही सब कुछ हैं, हम कुछ भी नहीं!
Vibhajhalani
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