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00:49, 6 जुलाई 2011 {{KKGlobal}}
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|रचनाकार=द्विज
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|पीछे=तब तजि संभ्रम-भास / शृंगार-लतिका / द्विज
|आगे=अति प्रसन्न गदगद गिरा / शृंगार-लतिका / द्विज
|सारणी=शृंगार-लतिका / द्विज/ पृष्ठ 5
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<poem>
'''दोहा'''
''(सरस्वती अनुग्र-वर्णन)''
चिंता और उछाह मैं, परयौ जानि द्विज-दीन ।
बिधिहि तुरत तजि भारती, मात अनुग्रह कीन ॥५२॥
</poem>