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आख़िर कबतक / एम० के० मधु
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17:35, 6 जुलाई 2011
रोज लिखी जाने वाली एक ही भाषा
जिसका अर्थ सबको मालूम है
पर
तुम्हे
तुम्हें
मालूम नहीं
क्योंकि तुम्हारे पास आंखें हैं
कान हैं
योगेंद्र कृष्णा
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