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हम अपने मन का उन्हें देवता समझते हैं / गुलाब खंडेलवाल
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21:04, 6 जुलाई 2011
किसी भी काम न आये, गुलाब! तुम, लेकिन
समझनेवाले
तुम्हीं को
तुम्हींको
बड़ा समझते हैं
<poem>
Vibhajhalani
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