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हमारी रात अँधेरी से चाँदनी बन जाय / गुलाब खंडेलवाल
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21:07, 6 जुलाई 2011
कहीं न जान की दुश्मन ये दोस्ती बन जाय
कभी
किसी से
किसीसे
जो लग जाय तो छूटे ही नहीं
नज़र का खेल है यह तो कभी-कभी बन जाय
Vibhajhalani
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