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चले भी आइये, क्यारी में सौ गुलाब खिले / गुलाब खंडेलवाल
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21:14, 6 जुलाई 2011
कभी बहार के पाँवों की तो आहट न मिली
भले ही मन की
खुमारी
ख़ुमारी
में सौ गुलाब खिले
खड़े हुए थे अँधेरे तो दोनों ओर मगर
Vibhajhalani
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