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इन आँसुओं से तुम अपना दामन सजा रहे थे, पता नहीं था / गुलाब खंडेलवाल
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21:26, 6 जुलाई 2011
हवा में घुँघरू से बज उठे थे, दिशाएँ करवट बदल रही थीं
किरण
किरन
के घूँघट में मुँह छिपाकर तुम आ रहे थे, पता नहीं था
दिया हर उम्मीद का बुझाकर, सुला लिया अपना दिल तो हमने
Vibhajhalani
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