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हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात / गुलाब खंडेलवाल
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22:02, 6 जुलाई 2011
हम उनके प्यार में जगते रहे हैं सारी रात
खुद
ख़ुद
अपने आप को ठगते रहे हैं सारी रात
ये क्या हुआ कि सुबह उनकी एक झलक न मिली,
कभी तो पायेंगे काग़ज़ गुलाब की रंगत
हम अपने
खून
ख़ून
से रंगते रहे हैं सारी रात
<poem>
Vibhajhalani
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