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राह हमको लिए जाती है कहाँ, कौन कहे! / गुलाब खंडेलवाल
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22:05, 6 जुलाई 2011
आज तो धुन है पहुँचने की उनके पास, मगर
चैन सचमुच कभी पायेंगे वहाँ, कौन कहे
!
क्या दिखी है कोई नेमत बड़ी इस दिल से भी
है वही बाग़, वही तुम हो, वही हम हैं गुलाब
उड़ गया प्यार का वह रंग कहाँ, कौन कहे
!
<poem>
Vibhajhalani
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