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ये हसीन बेकली क्यों सीने में भर गयी है! / गुलाब खंडेलवाल
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19:54, 7 जुलाई 2011
मेरे हर ख़याल में एक ख़ुशबू-सी भर गयी है
मुझे
हँस के
हँसके
अब विदा दो, मेरी ज़िन्दगी का ग़म क्या!
ये समझ लो आज दुलहन साजन के घर गयी है
Vibhajhalani
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