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बात जो कहने की थी, होठों पे लाकर रह गये / गुलाब खंडेलवाल
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20:06, 7 जुलाई 2011
उम्र भर को वे हमारे दिल में आकर रह गये
क्यों किया वादा नहीं था
लौट कर
लौटकर
आना अगर!
इस गली के मोड़ पर हम ज़िन्दगी भर रह गये
Vibhajhalani
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