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कोई हमींसे आँख चुराये तो क्या करें / गुलाब खंडेलवाल
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20:19, 7 जुलाई 2011
उनकी गली से होश था उठने का भी किसे!
दुनिया
हमीं को
हमींको
आँख दिखाए तो क्या करें!
भाती नहीं हो जिसको पँखुरियाँ गुलाब की
उसको ग़ज़ल भी रास न आये तो क्या करें!
<poem>
Vibhajhalani
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