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उनकी गली से होश था उठने का भी किसे!
दुनिया हमीं को हमींको आँख दिखाए तो क्या करें!
भाती नहीं हो जिसको पँखुरियाँ गुलाब की
उसको ग़ज़ल भी रास न आये तो क्या करें!
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