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जो भी जितनी दूर तक आया, उसे आने दिया / गुलाब खंडेलवाल
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19:06, 8 जुलाई 2011
अपने होंठों तक ये प्याला तुमने क्यों आने दिया!
आँधियों
आँधियो
! हाज़िर है अब यह फूल झड़ने के लिये
यह मिहरबानी बहुत थी, हमको खिल जाने दिया
Vibhajhalani
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