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फिर-फिर वही धुन लेकर यों किसने पुकारा है! / गुलाब खंडेलवाल
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,
19:24, 8 जुलाई 2011
एक जान हमारी है, एक जान से प्यारा है
उलझा था कभी इसमें आँचल तो
,
गुलाब
!
,
उनका
अब डाल का काँटा ही जीने का सहारा है
<poem>
Vibhajhalani
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