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बन के दीवाना न यों महफ़िल में आना चाहिए / गुलाब खंडेलवाल
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19:26, 8 जुलाई 2011
<poem>
बन के
बनके
दीवाना न यों महफ़िल में आना चाहिए
कुछ तो लेकिन उनसे मिलने का बहाना चाहिए
रंग लाया है तेरा ग़ज़लों में बँध जाना, गुलाब!
कह रहे हैं वे, इसे
होंठों
होँठों
पे लाना चाहिए
<poem>
Vibhajhalani
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