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बस कि मेहमान सुबह-शाम के हैं / गुलाब खंडेलवाल
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19:28, 8 जुलाई 2011
बस कि मेहमान सुबह-शाम के हैं
हम
मुसाफिर
मुसाफ़िर
सराय आम के हैं
काम अपना है उनको पहुँचाना
Vibhajhalani
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