माना कि यह ख़त हाथ में लेकर उसने इसे फिर फाड़ भी डाला
लौटनेवाले ! हमको बता दे, उसका कोई सन्देश तो होगा?
हमको तड़पता देखके भी क्या तू ये नज़र मोड़े ही रहेगा?
लाख है पत्थर , दिल में मगर कुछ प्यार का भी लवलेश तो होगा!
रंग गुलाब का उड़ने लगा है, लौट रही हैं शोख़ हवायें
जिसमें हमें पहचान ले दुनिया, ऐसा भी कोई वेश भेष तो होगा?
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