Changes

पृष्ठ को '{{KKGlobal}}' से बदल रहा है।
{{KKGlobal}}
{{KKRachna
|रचनाकार=गुलाब खंडेलवाल
|संग्रह=कुछ और गुलाब / गुलाब खंडेलवाल
}}
[[category: ग़ज़ल]]
<poem>
 
मुट्ठी में अब ये चाँद सितारे हुए तो क्या!
मरने के बाद आप हमारे हुए तो क्या!
 
वे लोग जा चुके जिन्हें फूलों से प्यार था
क़दमों पे अब ये बाग़ भी सारे हुए तो क्या!
 
जब डूबना है क्यों भला माँझी का लें एहसान!
दो हाथ और पास किनारे हुए तो क्या!
 
जब दिल में रह गया न तड़पने का हौंसला
उन शोख़ निगाहों के इशारे हुए तो क्या!
 
मेहराब थे फूलों के वे औरों के वास्ते
दम भर किसी के हम भी सहारे हुए तो क्या!
 
अब भी उन्ही बहार के रंगों में हैं गुलाब
हैं आपकी नज़र से उतारे हुए तो क्या!
<poem>
2,913
edits