गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
मुँह खोलके हमसे जो मिलते न बना होता / गुलाब खंडेलवाल
1 byte added
,
19:36, 8 जुलाई 2011
वैसे तो 'गुलाब' उनका इस बाग़ पे कब्ज़ा है
हम देखते
,
ख़ुशबू को रुकने को कहा होता
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits