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याद मरने पे ही किया तुमने / गुलाब खंडेलवाल
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19:37, 8 जुलाई 2011
दो घड़ी और भी ठहर न सके
जानेवाले! ये क्या किया तुमने
!
ज़िन्दगी की किताब ख़त्म हुई
Vibhajhalani
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