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आख़िर इस दिल की पुकारों में तुझको देख लिया / गुलाब खंडेलवाल
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20:06, 8 जुलाई 2011
तू भले ही रहा दुनिया से अलग होके, गुलाब!
पर
किसी ने
किसीने
था हज़ारों में तुझको देख लिया
<poem>
Vibhajhalani
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