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आदमी भीतर से भी टूटा हुआ लगता है आज / गुलाब खंडेलवाल
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20:09, 8 जुलाई 2011
यह शहर का शहर ही लूटा हुआ लगता है आज
तुझसे आती है किसी जूड़े की
ख़ुशबू
तो
ख़ुशबू,
गुलाब!
हाथ से दामन मगर छूटा हुआ लगता है आज
<poem>
Vibhajhalani
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