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पिएगा छकके कोई, कोई घूँट भर को तरसेगाये नूर पर तेरे चेहरे से प्यार यों ही बरसेगातो सभीसे मिलता हैदिल नहीं हर किसीसे मिलता है
गले से लगके नहीं हिचकियाँ रुकेंगी अबहम सुरों में सजा रहे हैं उसे बरसने आया दर्द जो ज़िन्दगी से मिलता है बादल तो जमके बरसेगा
अभी यों तो राह में काँटे बिछा नज़रें चुरा रहा हैकोईप्यार भी बेरुख़ी से मिलता है क्या हुआ मिल लिए अगर हम-तुम!आदमी, गुलाबआदमी से मिलता है!कभी ये बाग़ तुझे देखने को तरसेगाहों पँखुरियाँ गुलाब की ही मगररंग उनकी गली से मिलता है
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