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आपके दिल में हमारी भी चाह है कि नहीं! / गुलाब खंडेलवाल
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20:13, 8 जुलाई 2011
हमको हर हाल में होना तबाह है कि नहीं!
यह तो
क़िस्मत
किस्मत
न हुई,
खुल के
खुलके
सामने हों कभी
पर इधर आपकी तिरछी निगाह है कि नहीं!
Vibhajhalani
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