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कभी प्यार से मुस्कुराओ तो क्या है! / गुलाब खंडेलवाल
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20:15, 8 जुलाई 2011
वही लौ इधर भी, वही लौ उधर भी
दिए
दिये
को
दिए
दिये
से जलाओ तो क्या है!
नज़र आइना, रूप भी आइना है
Vibhajhalani
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