गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
जी से हटती ही नहीं याद किसी की गुमनाम / गुलाब खंडेलवाल
6 bytes added
,
20:22, 8 जुलाई 2011
हमने यह रात लिखा दी है तेरे प्यार के नाम
फिर से
बिछडे
बिछुड़े
हुए राही जहाँ मिल जायँ कभी
दूर इस राह में ऐसा भी कोई होगा मुकाम
Vibhajhalani
2,913
edits