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पँखुरियाँ गुलाब की नम न हों तो क्या करें! / गुलाब खंडेलवाल
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20:11, 9 जुलाई 2011
हम इधर हैं बेक़रार, है उधर भी इंतज़ार
पर नज़र के
फासले
फ़ासिले
कम न हों तो क्या करें!
प्यार यह हमारे ही दिल का हो भरम नहीं
Vibhajhalani
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