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यों तो रंगों की वो दुनिया ही छोड़ दी हमने / गुलाब खंडेलवाल
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20:15, 9 जुलाई 2011
लीजिये, आपकी चरचा ही छोड़ दी हमने
क्या हुआ फूल जो
होठों
होँठों
से चुन लिए दो-चार
और ख़ुशबू तेरी ताज़ा ही छोड़ दी हमने
Vibhajhalani
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