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लाख चक्कर हों सुराही के, हमारा क्या है / गुलाब खंडेलवाल
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20:20, 9 जुलाई 2011
जब कहा उनसे, 'खिले आज तो होँठों पे गुलाब'
हँस के
हँसके
बोले कि हैं माली के, हमारा क्या है!
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Vibhajhalani
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