गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
सौ ऐब हैं मुझमें, न कोई इल्मो-हुनर है / गुलाब खंडेलवाल
2 bytes added
,
20:21, 9 जुलाई 2011
कुछ आपकी ख़ामोश निगाहों का असर है
फूलों से हार
गूँथ के
गूँथके
लाना है और बात
काँटों से ज़िन्दगी को सजाने में हुनर है
कुछ बुलबुलों ने लूट लिया, कुछ बहार ने
बाकी
बाक़ी
जो है गुलाब वो दुनिया की नज़र है
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits