गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
हम खोज में उनकी रहते हैं, वे हमसे किनारा करते हैं / गुलाब खंडेलवाल
3 bytes added
,
20:23, 9 जुलाई 2011
फूलों में हँसा करते हैं कभी पत्तों में इशारा करते हैं
बिछुडे
बिछुड़े
हुए राही मिल न सके, आख़िर हम भीड़ में खो ही गए
दिल उनको पुकारा करता है, हम दिल को पुकारा करते हैं
Vibhajhalani
2,913
edits