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हमें तो हुक्म हुआ सर झुका के आने का / गुलाब खंडेलवाल
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20:24, 9 जुलाई 2011
निगाहें बढ़के लिपटती रहीं निगाहों से
चले तो
वक्त
वक़्त
नहीं था गले लगाने का
नहीं जो प्यार हो हमसे तो दोस्ती ही सही
Vibhajhalani
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