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आप क्यों दिल को बचाते हैं यों टकराने से! / गुलाब खंडेलवाल
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20:26, 9 जुलाई 2011
ख़त्म हो जायगा यह खेल पास आने से
देखते- देखते कुछ यों हवा हुए हैं गुलाब
ज्यों गया हो कोई बीमार के सिरहाने से
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Vibhajhalani
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