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तेरी बेरुख़ी ने मुझको ये हसीन ग़म दिया है / गुलाब खंडेलवाल
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20:36, 9 जुलाई 2011
ये बता कि कह रहा क्या तेरे ख़त का हाशिया है
वो नज़र से जानेवाला
,
मेरे दिल में आके बोला,'सभी कुछ वही है
,
हमने
,
ज़रा घर बदल लिया है'
तेरे नाम की है ख़ूबी कि गुलाब! हर सुबह को
किसी बेरहम ने दिल में
,
तुझे याद तो किया है
<poem>
Vibhajhalani
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