गृह
बेतरतीब
ध्यानसूची
सेटिंग्स
लॉग इन करें
कविता कोश के बारे में
अस्वीकरण
Changes
दिल हमें देखकर कुछ देर को धड़का होता / गुलाब खंडेलवाल
4 bytes added
,
20:39, 9 जुलाई 2011
दिल में कुछ और भी यादों की कशिश बढ़ जाती
तुम जो मिलते भी तो
आखिर
आख़िर
यही रोना होता
जानते हम
,
ये हवा रास न आयेगी, गुलाब!
भूलकर भी न क़दम बाग़ में रखा होता!
<poem>
Vibhajhalani
2,913
edits