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न छोड़ यों मुझे, ऐ मेरी ज़िन्दगी बेसाज़ / गुलाब खंडेलवाल
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20:40, 9 जुलाई 2011
कभी तो मैं भी अदाओं का तेरा था हमराज़
नहीं
किसी से
किसीसे
भी मिलता है अब मिजाज़ इसका
कुछ इस तरह था छुआ उसने मेरे दिल का ये साज़
पता नहीं कि कहाँ रात गिरी थी बिजली!
कहीं से
कहींसे
कान में आयी थी चीख़ की आवाज़
गुलाब! बाग़ में क्या-क्या न गुल खिलाता है
Vibhajhalani
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