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यों ख़यालों में उभरता है एक हसीन-सा नाम / गुलाब खंडेलवाल
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20:44, 9 जुलाई 2011
फिर एक बार कहो दिल से वहीं लौट चलें
सुबह
जहाँ
हुई थी
जहाँ
सुबह
अब वहीं हो प्यार की शाम
कोई मंज़िल है मिली गुमरही में भी हमको
Vibhajhalani
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