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साथ हरदम भी बेनक़ाब नहीं / गुलाब खंडेलवाल
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21:04, 9 जुलाई 2011
मुस्कुराने की बस है आदत भर
अब इन आँखों में कोई
ख्वाब
ख़्वाब
नहीं
मेरे शेरों में ज़िन्दगी है मेरी
कभी सूखें, ये वो गुलाब नहीं
<poem>
Vibhajhalani
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